Thursday 21 July 2016

दोस्तों
क्या हो अगर......

* दुनिया का सबसे बड़ा हथियार यानि SCD का दिमाग दुश्मन बन जाय ।

* वो रोबो और मिस किलर जैसे दिग्गजों से मिलकर दुनिया को गुलाम बनाने में लग जाय ।

* स्वर्ण नगरी का विज्ञान, मानवता का शत्रु हो जाय ।

* शक्ति, परमाणु, कोबी जैसे योद्धा तबाही मचाना शुरू करदें ।

कैसे ????? और किसने????
 रचा है ये भयानक

◆◆◆◆◆◆◆षड़यंत्र◆◆◆◆◆◆

【A story by Ankit Nigam】

             
हिन्द महासागर की अनंत गहराईयों में छुपे हैं अनेकों रहस्य । इन्ही रहस्यों में से एक है " स्वर्ण नगरी" । धरती पर देवों का एक अत्यंत गुप्त नगर जिससे सारी दुनिया अनजान है....

या शायद नहीं...

ये कौन शख्स है जो आज इस नगर की ओर बढ़ा चला आ रहा है । पर शायद इस शख्स को पता नहीं की इस नगर में घुसना असंभव है ।।।।
पर ये ... ये क्या !! ये शख्स तो नगर के सुरक्षा घेरे में घुल रहा है... और ....... और दूसरी ओर निकल रहा है।
इसने तो नगर के सुरक्षा कवच को बड़ी ही आसानी से पार कर लिया है और अब ये नगर में दाखिल होने जा रहा है। पर स्वर्ण नगरी के ये द्वारपाल इसे अवश्य ही रोक लेंगे। मगर ये शायद इसे देख ही नहीं पाये क्योंकि ये तो बड़ी ही आसानी से इस गलियारे को पार करके किसी निश्चित स्थान की ओर बढ़ रहा है.... तभी पीछे से एक आवाज़ ने उस शख्स के कदम रोक दिए!
"कौन हो तुम? और यहाँ तक कैसे आये?"
सवाल के जवाब में चली एक लेज़र गन लेकिन स्वर्ण मानव को छू नहीं पायी।
"मुझे लगा था तुम शांति से उत्तर दे दोगे किन्तु यदि तुम लड़ना चाहते हो तो यही सही।"
इतना कह कर स्वर्ण मानव ने एक यन्त्र को उस अज्ञात शख्स की ओर फेक दिया और ऐसा होते ही उसके चारों ओर एक जाल सा बन गया ।
"अब मेरे प्रश्न का उत्तर दो, कौन हो तुम?"
उस शख्स को कैद में समझने की गलती कर बैठा वो स्वर्ण मानव जो उसे महंगी पड़ी क्योंकि वो शख्स न सिर्फ उस जाल में घुलकर बहार आ गया अपितु बहार आकर उसने एक ही प्रहार में स्वर्ण मानव को मूर्छित भी कर दिया।
" अब मुझे अपना काम जल्द से जल्द पूरा करना होगा।"
स्वर्ण नगरी का शोध कक्ष जहां विभिन्न प्रकार के अनुसंधान चलते ही रहते हैं। आज उन्ही में से एक गुप्त संयंत्र जिस पर शिल्पत्रि अपने अंतिम प्रयोग के बाद अत्यंत ही प्रसन्न थी।
"मेरी वर्षों की मेहनत आखिर सफल हो ही गयी और मैंने सजीव दिमाग को काबू में करने वाला यन्त्र 'नियंत्रक' आखिर बना ही लिया।"
तभी वो रहस्यमय शख्स इस कमरे में दाखिल होता है।
"अद्भुत कार्य किया है तुमने। अब बस अपना ये नियंत्रक मुझे सौंप दो।"
"कौन हो तुम और यहाँ तक कैसे आये?"
"मेरे पास तुम्हारे सवालों के जवाब देने का समय नहीं है।"
इतना कहकर उसने शिल्पात्रि पर ऊर्जा वार किया जिसे शिल्पात्रि ने अपने वस्त्र से रोक दिया और उसी वस्त्र से प्रहार भी कर दिया।
अचानक हुए इस वार से वो शख्स खुद को तो बचा ले गया लेकिन उसका मुखोटा उसके चेहरे से अलग हो गया।
"मिस किलर!!! तुम यहाँ?"
जी हाँ ये रहस्यमय शख्स कोई और नही मिस किलर है।
" ओह !!! तो स्वर्ण मानव भी मुझे पहचानते हैं। मुझे पता नहीं था की मेरी प्रसिद्धि यहाँ तक है।"
"प्रसिद्धि नहीं , कुप्रसिद्धि बोल चुड़ैल।"
इतना कहकर शिल्पात्रि ने कक्ष् में मौजूद एक मशीन को चालू कर दिया जिससे निकली तरंगों ने मिस किलर के हाथ से गन गिरा दी। तरंग के अगले वार से बचते हुए मिस किलर ने अपने लबादे में से एक कांच की शीशी निकाली और शिल्पात्री की ओर उछाल दी मगर शिल्पात्री उस वार से बच गयी।
"बड़ा ही ख़राब निशाना है तेरा।"
"मेरा निशाना बिलकुल ठीक है स्वर्ण मानवी।"
इतना कहकर मिस किलर ने शिल्पात्री को एक जोरदार लात मारकर उधर ही उछाल दिया जहां वो शीशी फूटी थी और शिल्पात्री उससे चिपक गयी।
" छूटने की कोशिश मत करना निकल नही पाओगी क्योंकि तुम मेरे सुपर गम से चिपकी हो।"
उसे चिपकाकर मिस किलर उस यंत्र को उठा के जाने ही वाली थी की वहां आ पहुंचा धनंजय।
" बहुत उत्पात मचा लिया मिस किलर अब वहीँ पर रुक जाओ वरना अपनी हालात की तुम खुद जिम्मेदार होगी।"
"आखिर तुम आ ही गए धनंजय। वैसे तुम मुझे रोक नहीं पाओगे ।"
"ये तो समय बताएगा।"
धनंजय ने अपना स्वर्ण पाश मिस किलर की ओर उछला लेकिन मिस किलर अद्भुत फुर्ती का परिचय देती हुई उससे बच गयी।
"मैं तेरे इस स्वर्णपाश की शक्ति जानती हूँ धनंजय, मगर ये मुझे नहीं पकड़ पाएगा।"
मिस किलर लगातार धनंजय के वारों से बचते हुए उस पर प्रहार करती रही, लेकिन दोनों को ही एक दूसरे के वार छू तक नहीं पा रहे थे।
'ये लड़ाई मुझे तो नुकसान नही पहुचाएगी लेकिन शोधग्रह के यंत्र टूट सकते हैं मुझे द्वार बनाकर इसे यहाँ से दूर ले जाना होगा।'
ये सोचकर धनंजय ने द्वार बनाकर मिस किलर एक किक से उसकी ओर ढकेल दिया लेकिन इसी के साथ मिस किलर ने नियंत्रक को भी अपने ऊर्जा पाश से फंसाकर अपने साथ खींच लिया।
ये देख कर शिल्पात्री चीख उठी उसे रोको धनंजय वरना वो न जाने इसका क्या इस्तेमाल करेगी।
ये सुनकर धनंजय जैसे ही द्वार के दूसरी ओर निकला मिस किलर ने उसपर नियंत्रक से वार किया जिसे वो संभाल नहीं पाया।
                       ***********
समुद्र के पास ही स्थित गुफाएं। ये कोई साधारण गुफा नहीं हैं। ये घर हैं अपराध के सबसे बड़े सरगना 'ग्रैंड मास्टर रोबो' का।
आज यहाँ पर काफी हलचल है क्योंकि यहाँ पर रोबो के साथ साथ मौजूद है नगीना, जी हाँ 'नाग तंत्रिका नगीना' लेकिन यहाँ होने क्या वाला है? आइये देखते हैं।

"पता नहीं वो अपने काम को अंजाम दे पाएगी या नहीं।"

"बेकार की चिंता ना करो रोबो, मिस किलर को अब तक केवल नागराज ही मात दे सका है, और वहां पर नागराज नहीं होगा, इसके अलावा मिस किलर के साथ मेरी तंत्र शक्तियां भी हैं। वो अवश्य जीत कर ही आएगी।"

"मगर तुम अभी धनंजय की ताकत से वाक़िफ़ नहीं हो, उसी की वजह से अभी तक मैं भी स्वर्ण नगरी तक नही पहुँच पाया।"

तभी वहाँ पर हवा में एक द्वार उभरता है और उसमे से मिस किलर बहार आती है और साथ में धनंजय भी।

"क्या तुम इसी धनंजय की बात कर रहे हो रोबो, ये अब हमारा गुलाम है।"

यह दृश्य देखकर रोबो आश्चर्यचकित हो जाता है।

"ये .... ये असंभव है।
तुमने वाकई में कमाल कर दिया मिस किलर।
पर ये सब तुमने किया कैसे?
और तुम्हे स्वर्ण नगरी की इनती स्पष्ट जानकारी मिली कैसे?"

"मेरे अकेले से शायद ये न हो पाता पर नगीना की तन्त्र शक्ति ने मेरे शरीर को जिस ऊर्जा के रूप में बदला था वो ऊर्जा हर प्रकार की ऊर्जा में घुल जाने में सक्षम थी और इसी वजह से मैं आसानी से स्वर्ण नगरी में प्रवेश भी कर गयी और वहां के रक्षको से बच भी गयी। धनंजय ने जरूर मुझे रोकने की कोशिश की पर मैंने नियंत्रक की शक्ति से उसे गुलाम बना लिया।"
" और रही स्वर्ण नगरी की जानकारी वाली बात, तो वो मुझे मेरे मित्र ने बताई और अब से दुनिया को गुलाम बनाने के मिशन को वही लीड भी करेंगे।
तो मिलिये हमारे चौथे साथी 'SUPER COMMANDO DHRUV' से।"

जी हाँ सुपर कमांडो ध्रुव।

जिसे देखकर रोबो भी कभी डर से काँप जाता था वही ध्रुव आज रोबो के साथ।
वहां अचानक छाए सन्नाटे को ध्रुव की आवाज़ ने तोडा।

"दुनिया को गुलाम बनाने के अपने अभियान की शुरुआत हम यहाँ के सबसे शक्तिशाली लोगों को गुलाम बना कर करेंगे।
दिल्ली में परमाणु फिर शक्ति
आसाम के जंगलों में कोबी
मुम्बई में डोगा
और"

...."और नागद्वीप के सभी इच्छाधारी नाग और उनके साथ में
नागराज।"
ध्रुव की बात काटते हुए नगीना ने बोला।
"हाँ यही ठीक रहेगा।"

"नहीं नागराज को नहीं" ध्रुव ने टोका, "नागराज के सिर की सुरक्षा इच्छाधारी शक्ति करती है जिसका सामना ये यन्त्र नहीं कर पायेगा।"

"तब उसे मारना होगा, वर्ना हम कामयाब नही हो पाएंगे।" नगीना ने बात को आगे बढ़ाया।

अब सबसे पहला हमला होगा दिल्ली पर।
चारों एक साथ बोलकर जोर का ठहाका मार के हंस पड़े।
शांत होते ही ध्रुव बोला " मैं जाऊँगा परमाणु से लड़ने और जब वो मुझसे लड़ने में व्यस्त होगा तब उस पर नियंत्रक से वार किया जायगा।"

सबके जाने के बाद रोबो कुछ सोच ही रहा था की मिस किलर बोल पड़ी
" तुम यही सोच रहे हो न रोबो की ध्रुव हमारे साथ कैसे?"
"हाँ ।"
"बताती हूँ सुनो-

"एक दिन मैं एक पुरानी जानकारी निकालने के लिए दिल्ली के पुराने पेपरों की खाक छान रही थी की मैंने एक खबर पढ़ी -
Flash back
पेपर की हेडिंग-:
दिमाग का खिलाड़ी "बुद्धिपलट" पकड़ा गया।

आगे पढ़ने पर मुझे पता चला कि इसके पास ऐसा दिमाग है जो किसी को भी अपने वश में कर सकता है, यहाँ तक कि इसने परमाणु तक को अपने वश में कर लिया था।
बस फिर क्या था मैंने बुद्धिपलट को जेल से छुड़ाकर अपने साथ मिला लिया।

और उसने ध्रुव को अपने वश में कर लिया ?? " असंभव मिस किलर।
ध्रुव प्रबल इच्छाशक्ति का मालिक है और कोई भी उसका दिमाग अपने काबू में नही कर सकता।

सीधी लड़ाई में शायद नहीं कर सके पर टेढ़े तरीके से तो कर सकता है ना।
             
                             Flashback
राजनगर में एक शाम सड़क पर भयानक अफरा तफरी मची थी क्यूंकि एक खूंखार तंत्र प्राणी तबाही मचाये हुए था । ऊष्मा जल और भाप के मिश्रण से बना प्राणी । उसका चेहरा ऊष्मा से , धड़ और भुजाएं भाप से और पैर जल से बने थे । ..... पर प्राणी कितना भी भयानक क्यों न हो अगर राजनगर में तबाही मचायेगा तो सुपर कमांडो ध्रुव तो आयेगा ।

वो प्राणी अपनी आँखों की तीव्र ऊष्मा से एक पहले से ही डरी हुई लड़की को जलाने ही वाला था पर अचानक ध्रुव ने उस लड़की को अपनी स्टारलाइन से खिंच कर बचा लिया ।

"ये क्या बाला है कोई आम प्राणी तो नही लगता।"

""" त्रिशक्ति नाम है मेरा अग्नि जल और वाष्प मेरे गुलाम हैं । पर अभी तू मुझे अपनी मौत बुला सकता है ध्रुव। """

कहते हुए त्रिशक्ति ने दोबारा अग्नि वार किया

उस वार को डॉज करते हुए ध्रुव बोला

(बड़ा फेमस हो गया हूँ मैं साला हर कोई मुह उठा के मारने चला आता है)
"बेटा त्रिशक्ति मुझे मारने वाले सभी या तो जन्नत पहुँच जाते हैं या जेल ।"
 " और मुझसे लड़ने वाले सिर्फ जहन्नुम जाते हैं ध्रुव।"

 (मैं इसके वारों से खुद को तो बचा ले रहा हूँ पर आसपास की इमारतों को नुक्सान पहुँच रहा है, इसे यहाँ से दूर ले जाना होगा।)
ध्रुव ने त्रिशक्ति के एक और अग्नि वार से खुद को कलाबाज़ी खाते हुए बचाया और अपनी बाइक पे जा बैठा । ध्रुव ने जैसे ही अपनी बाइक आगे बढ़ाई। त्रिशक्ति के जलीय पैरों से ढ़ेर सारा पानी चारों ओर फ़ैल गया और ध्रुव की बाइक उसमे डूब गयी।

"त्रिशक्ति से भाग पाना असंभव है। हा हा हा हा"

"जल्दी ही कुछ करना पड़ेगा।"

जलस्तर लगातार बढ़ता ही जा रहा था ध्रुव ने आगे आकर त्रिशक्ति को स्टार लाइन से बांधना चाहा पर....
"ओह् स्टार लाइन तो इसके आर पार हो गयी। "

"मुर्ख मेरा शरीर जिन तत्वों से बना है उन्हें बांधा नहीं जा सकता।"

"जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है इससे पेहले की शहर का सीवेज सिस्टम ब्लॉक हो इस जल वार को रोकना होगा ।"
ऐसा सोचते ही ध्रुव ने पानी में डुबकी लगा दी और तैरकर पास के होटल के स्विमिंग पूल तक चला गया। वहां पहुंचकर ध्रुव ने पानी के सरे एग्जिट मोटर्स एक साथ चालू कर दिये, एक साथ तेज़ी से पानी खींचना शुरू होगया और चूँकि त्रिशक्ति उससे जुड़ा हुआ था इसलिए वो भी खींचने लगा। और आखिर में खुद को बचाने केलिये उसे जल प्रलय रोकनी पड़ी।
"माना की तू मेरे जल वार से बच गया पर अब और नहीं ।"
इतना कहकर उसने अपने हाथों से भाप का वार किया और चूँकि उसका क्षेत्र काफी ज़्यादा था, ध्रुव उस वार से बच नहीं पाया ।

" आआआह्ह्ह्ह !!! मर गया, ऐसा लगा जैसे पूरा शरीर उबल गया। अब बस बहुत हुआ। किसी तरह मैं इसके शरीर को ठोस कर सकूँ तो ....... अरे ये तो मैं आराम से कर सकता हूँ।"
 ध्रुव ने अपनी स्टार लाइन सामने की बिल्डिंग में फंसाई और त्रिशक्ति के कुछ भी समझ पाने से पहले उसमे घुस गया।

"भागेगा कहाँ मैं यहाँ तबाही मचा दूंगा "

तभी ध्रुव बाहर आता है और त्रिशक्ति के ऊपर कुछ फेंकता है जिससे उसके शरीर की आग बुझ जाती है और भाप और जल वाले हिस्से ठोस हो जाते हैं फिर ध्रुव का एक ही वार उसे तोड़ देता है।

"मुझे पता था की द्रव नाइट्रोजन इसके शरीर को जमा देगी क्योंकि ये अत्यधिक ठंडी होती है। पर ये नहीं पता चला की ये आया कहाँ से था।"

"इसे मैंने भेजा था।"

"कौन??????"

ध्रुव पलटा तो देखा
"नाग तंत्रिका नगीना"

"इतना मत चौंको ध्रुव।"

"नागराज को छोड़ कर आज मुझसे पिटने आई हो? मगर तुम्हारी इच्छा पूरी नहीं हो पायेगी क्योंकि मैं औरतों पर हाथ नहीं उठाता।"
ध्रुव ने शरारती मुस्कान के साथ कहा।

नगीना ने कुटिल मुस्कान के साथ अपनी मुट्ठी में कुछ भरकर फूंका और आस पास का सारा scene ही बदल गया।
चारों ओर सपाट धरती और उसपर ढ़ेर सारे डाइनोसौर्स।

"तुम इस तंत्र जाल से बच नहीं पाओगे ध्रुव, इस जाल को तोड़ने में नागराज के भी पसीने छूट गए थे।"

"ये ज़रूर ही किसी प्रकार का दृष्टि भ्रम है और अगर ऐसा है तो यहाँ वास्तविक चीज़ें छुपी हुई ही सही पर होंगी।"
चिं चीं चीं...
ध्रुव के गले से एक चहचहाट निकली पर बीच में ही रुक गयी क्योंकि एक टेक्नोसौर्स के वार से वो दूर छिटक गया।

"ये तंत्र तेरी शक्तियों को ध्यान में रख कर ही बनाया है यहाँ एक भी पशु पक्षी नही है तेरी मदद को।"

ध्रुव लगातार डाइनसौर्स से खुद को बचाते हुए बचने का तरीका सोंच रहा है।
(पिछली बार तो मैंने इसके तंत्र मुंड को गिराकर इसे हराया था पर इस बार ये सावधान है। कुछ और ही सोचना होगा।)

ध्रुव स्टार ब्लेडस् से नगीना के मुंड पर वार करता है पर कुछ नही होता। और अब तो नगीना डाइनसौर्स के साथ साथ अपने तंत्र वार भी करने शुरू कर देती है।
(लगता है मुझे अपना प्रण तोडना पड़ेगा। इस पर हाथ उठाये बिना काम नहीं चलेगा)

नगीना की अगली तंत्र किरण को ध्रुव के अपने ब्रेसलेट की चमकदार सतह से परावर्तित करके उसके मुंड पर ही लौटा दिया और मुंड इस प्रहार से क्षतिग्रस्त हो गया साथ ही नगीना का तंत्र भी टूट गया।
"तू सच में खतरनाक है । इस वार से मुंड टूटा तो नहीं है पर जितना भी नुकसान हुआ है उसकी भरपाई में समय लगेगा। लेकिन नगीना के पास और भी शक्तियाँ हैं।"
 इतना कहकर नगीना ने धरती पे कुछ पटका जिससे जोर का प्रकाश हुआ और ध्रुव की आँखें चौंधिया गयीं और कुछ समघ पाने के पूर्व ही नगीना ने नाग रूप धरकर ध्रुव को डस लिया और अपने साथ उठा कर मिस किलर के अड्डे पे ले आयी ।

                         Present time
"और फिर जैसे ही ध्रुव को होश आया बुद्धिपलट ने उसकी बुद्धि पलट दी। हालाँकि अब हम बुद्धि पलट से नियंत्रक द्वारा ध्रुव को नियंत्रित करवायेंगे ताकि ध्रुव बिल्कुल भी ठीक न हो सके।

----------------------------------------------------------------------
स्थान : नई दिल्ली

आज यहाँ की सड़कों पर एक ख़ास मोटर साइकिल की आवाज़ गूँज रही है । लोग जिसे आश्चर्य और ख़ुशी के मिले जुले भाव से देख रहे हैं क्योंकि ये आवाज़ है ध्रुव की स्टार बाइक की ।
पर आज ये किसी को बचाने नहीं बल्कि दिल्ली की आँख को भेदने आया है।
उसे तलाश है सिर्फ परमाणु की।
ध्रुव की अंतरआत्मा अभी पूरी तरह से परिवर्तित नही हुई है इसीलिए वो परमाणु को बुलाने के लिए किसी प्रकार के विनाश का प्रयोग नहीं कर रहा है, पर नहीं.....लगता है ध्रुव का सब्र टूट चूका है उसने अपनी बाइक फुल स्पीड में कर ली है जो अब कुछ ही पलों में सामने आ रही स्कूल बस से टकरा जायगी.....या फिर ड्राईवर बस को बाइक के रस्ते से हटाने के चक्कर में कही टकरा जायगा..... पर...... ऐसा कुछ हो पाने से पहले ....... वो बाइक परमाणु रस्सी से बंधी हुई ऊपर उठ चुकी थी और बस सकुशल वहां से निकल गयी।
" ये क्या कर रहे हो ध्रुव, तुम्हारी इस हरकत से कई जाने जा सकती थीं।"

"नहीं जाती.....मुझे पता था तुम आ जाओगे।"

"मुझे बुलाने का ये क्या तरीका हुआ।"

"विनाश का तरीका, बहुत कर लिया सद्कर्म अब समय है विनाश का।"

"तुम होश में नहीं हो, या ..... या तुम ध्रुव ही नहीं हो"

और कुछ बोलने के स्थान पे ध्रुव ने परमाणु को स्टार लाइन में बांध कर तुरंत ही उसका दूसरा सिर पास की बिजली की वायर्स में अटका दिया।
परमाणु का सारा जिस्म एक ज़ोरदार झटके से झन्ना गया। तुरंत ही परमाणु ने अपने परमाणु छल्ले से स्टार लाइन को तोड़ दिया और खुद को बचाया।

(ये या तो ध्रुव नहीं है या फिर ये किसी तरह से अपने नियंत्रण में नहीं है, अगर ऐसा है तो ऐसे ही एक तेज़ झटके से इसे होश में लाया जा सकता है।)

ये विचार करते ही परमाणु ने अपनी परमाणु रस्सी ने ध्रुव को बांध दिया और उसका दूसरा सिरा वो बिजली के तारों की ओर फेंक ही रहा था कि इसी पल ध्रुव ने एक बेहतरीन कलाबाज़ी दिखाते हुए परमाणु को भी अपने साथ बांध लिया और चूँकि झटका लगते वक्त ध्रुव का शरीर हवा में था और परमाणु का ज़मीन पर इसलिए मेन शौक परमाणु को ही लगा। परमाणु ने तुरंत ही रस्सी तोड़ दी।

(ओफ... इसको तो कुछ नही हुआ पर मेरा दिमाग ज़रूर दुरुस्त हो गया। इसका ये खतरनाक दिमाग साबित करता है की ये ध्रुव ही है, और अगर ऐसा है तो मेरा जीत पाना असंभव है।)

परमाणु अभी उठ भी नहीं पाया था और ध्रुव ने स्टार ब्लेड से परमाणु की बेल्ट पर वार किया पर उसके ब्लेडस् बीच में ही पिघल गए।
वहां पर शक्ति आगयी थी।

"ये सब क्या हो रहा है । ध्रुव और परमाणु तुम आपस में क्यों लड़ रहे हो?"

"इसका व्यवहार बदला हुआ है शक्ति, ये इस वक्त अपने आपे में नही है।"

"रुक जाओ ध्रुव, होश में आओ।"

"तुम दोनों होश में आओ शक्ति, परमाणु, हमने बहुत करली इस दुनिया की रक्षा, अब राज करने का समय है। मेरी बात मान लो या फिर लड़ने की तैयारी करो।"

इतना कहकर ध्रुव के गले से आवाज़ निकली.... बां बां.... और पीछे से शक्ति पर एक सांड ने जोरदार प्रहार किया।
शक्ति उछल कर परमाणु के पास ही आ गिरी, अब तक परमाणु भी संभल चूका था
"मैंने कहा था ना, ये बदल गया है, पर इसका दिमाग दुरुस्त है, जिसका मतलब है कि हम ज्यादा देर दुरुस्त नहीं रह पाएंगे ।"
"ऐसा क्यों सोचते हो परमाणु, हम दो हैं और ये एक, वो भी बिना किसी सुपर शक्ति के, हम जल्द इसे काबू में कर लेंगे।"
"क्या वाकई में ??"
ये कहकर परमाणु ने शक्ति की और देखा

तब तक ध्रुव ने सांड को दोबारा वार काने का आदेश दे दिया पर इस बार परमाणु ने सांड को परमाणु रस्सी से बांध दिया।
" परमाणु उड़ो।" शक्ति चिल्लाई
"हम इस पर आसमान से ही वार करेंगे क्योंकि ये उड़द नहीं सकता।"

ऊपर जाते हुए शक्ति ने एक खम्बे को स्पर्श किया और कई धारदार हथियार ध्रुव की ओर बढ़ गए...
पर ध्रुव न सिर्फ उन हथियारों से बचा बल्कि आश्चर्यजनक फुर्ती दिखाते हुए एक भाले को लपककर शक्ति पे वार कर दिया।
शक्ति ने अपनी ऊष्मा से उस भाले को पिघला दिया।
ध्रुव ने एक बार फिर अपने गले से कुछ अलग अलग आवाज़ें निकाली और पूरा आसमान बाज़ों और चीलों के झुण्ड से ढक गया जो परमाणु और शक्ति पे वार करने लगे।

" तुम समझते हो की उड़कर मुझसे बाख जाओगे तो ये तुम्हारी गलत फहमी है।"

"ये ठीक कह रहा है शक्ति, ये पक्षी हमें ऊपर नहीं जाने दे रहे हैं ऊपर से ये लगातार मेरी बेल्ट पे मारने की कोशिश कर रहे हैं।"

शक्ति पक्षियों के चारों ओर अपनी ऊष्मा का घेरा इस प्रकार बनाया की वो जले नहीं बल्कि डरकर भाग जाये और वो सफल भी रही।
पर इसी दौरान ध्रुव ने अपनी बाइक स्टार्ट करके तारों के ऊपर चढ़ा ली और फुल स्पीड में परमाणु की ओर उछाल कर खुद नीचे कूद गया.... परमाणु ने तो ट्रांस्मिट होकर खुद को बचा लिया पर उसके ठीक पीछे उड़ रही शक्ति से बाइक टकरा गयी और वो सीधी जमीन पर आ गिरी।
शक्ति के ज़मीन पर गिरते ही ध्रुव ने उसके पास नर्व गैस का कैप्सूल फोड़ दिया और शक्ति मूर्छित हो गयी।

"अभी भी वक़्त है परमाणु संभल जाओ।"

"संभलने की ज़रुरत तुम्हे है ध्रुव।"

कहकर परमाणु ने ध्रुव पर atomic blast किया पर ध्रुव तो स्टार रोप पे झूल चूका था
(इसकी असली ताकत इसकी बेल्ट है मुझे उसे निष्क्रिय करना होगा)

परमाणु लगातार ध्रुव पर वार कर रहा था और ध्रुव बचते हुए पास पड़ी हुई पानी की बोतल अपने हाथ में लेकर परमाणु की बेल्ट पे पानी डालने ही वाला था।

उसी समय वहां से कहीं दूर

""अगर ध्रुव ने उसकी बेल्ट ख़राब कर दी तो भी तो उसका अनजान मददगार उसे गायब कर लेगा, जिसके डर से हमने सीधे नियंत्रक का वार नहीं किया परमाणु पर, हमें परमाणु को हराना नहीं काबू में करना है""     चिंतित ग्रैंड मास्टर रोबो ने कहा।

【**नोट- प्रोबॉट से दुनिया अनजान है उन्हें बस इतना पता है की दिल्ली में परमाणु का एक अदृश्य मददगार है।】

""ध्रुव पे भरोसा करो रोबो।"" मिस किलर ने कहा

उधर जैसे ही ध्रुव ने परमाणु के नज़दीक आकर उसकी बेल्ट पर पानी की बौछार करी परमाणु हो गया   [Transmit]
और ऐसा होते ही मानो गज़ब हो गया
ध्रुव ने अपनी बेल्ट से एक शीशी निकाली जो हवा को वैक्यूम की तरह अंदर खींचते हुए बढ़ने लगी और परमाणु के कण भी उसमे हवा के साथ खींचने लगे, सारे कणो के अंदर जाते ही ध्रुव ने उसे बंद कर दिया और फिर धनंजय ने द्वार बनाकर शक्ति ध्रुव और परमाणु को वापस पहाड़ियों पर बुला लिया।
होश में आते ही शक्ति और परमाणु को भी नियंत्रक द्वारा गुलाम बना लिया गया।

"आखिर वो शीशी कैसी थी ध्रुव?" मिस किलर ने पूछा
"ये तो धनंजय ही बतायेगा।" ध्रुव ने धनंजय की ओर देखकर कहा।
"एक बार जब ध्रुव ने चण्डकाल को वैक्यूम क्लीनर से पकड़ा था तब हमने ऐसे अविष्कार की सोची, ये शीशी एक ऐसे पदार्थ से बनी है जो हवा को तेजी से अंदर खींचता है और फैलता है।

....................................कहानी जारी है भाग-२ में

Post a Comment: