Monday 18 April 2016

विष क्षेत्र संरक्षणम

परिकल्पना : नितिन मिश्रा जी
लेखक : अनुराग कुमार सिंह
आर्टवर्क : हेमंत कुमार
इंकिंग : विनोद कुमार , ईश्वर आर्ट्स , स्वाति चौधरी
यह है सर्वनायक विस्तार का तृतीय भाग "विषक्षेत्र संरक्षणम अपनी पिछली कहानी को आगे बढ़ाता हुए यह कॉमिक्स सर्वनायक के उन अनछुए पहलुओ से परिचित करवाना चाहती है जो सर्वनायक मे नहीं हो सका ।
सर्वनायक विस्तार सीरीज की शुरुआत राज कॉमिक्स ने की ही इस उद्देश्य से की थी की सर्वनायक मे जो किरदार अचानक से आये हुए लग रहे थे और पाठको के सर के ऊपर से निकल रहे थे की ये अचानक से कैसे आ रहे , क्यों आ रहे है ? बस इन्ही सब सवालो के जवाब देने के लिए यह सीरीज शुरू हुयी । जैसे सर्वनायक के चतुर्थ खंड "सर्वसंहार " मे वॉर कम्युनिटी कैसे बनी वो मौत का मैराथन और विषपुत्रो का आगमन में पता चला ।
इसी के जैसे और सवालो के जवाब देने के लिए सर्वनायक विस्तार सीरीज का तीसरा भाग हमारे सामने है । तो आईए देखते है हमे इस कॉमिक्स से कितने सवाल के जवाब या मूल सर्वनायक सीरीज की पूर्वकथा मिलती है ।
कहानी : इस कॉमिक्स मे हमे 5 घटनाए पढने को मिलती है । जिसमे :-
1- डोगा का इजिप्शियन ममी से भिड़ना ( 11 पेजेज मे)
2 - त्रिनाग पर्वत द्वापर युग में अश्वराज और गोजो , जो कुदुम और बिजलिका की खोज मे त्रिसर्प संधि नामक शक्ति से टकराना (11 पेजेज)
3- त्रिनाग पर्वत - नागराज के मित्रो का नाग निरंजनी को हासिल करते हुए करणवशि से टकराना (8 पेजेज)
4- नागरानी के आयाम में नागराज और नागदंत का मुकाबला (27 पेजेज)
5 वेदाचार्य धाम मे फसलेस और वेदाचार्य का सीक्वेंस(2 पेजेज ) जैसी घटना इस 62 पेजेज की कॉमिक्स में शामिल है ।
सबसे पहले मै बात करता हु कॉमिक्स की पहली घटना की जहा डोगा मौत के मैराथन कॉमिक्स मे कालपहेलिया और ममी के साथ हुए मुठभेड़ के बाद यह पता करने निकल पड़ता है की कालपहेलिया को ममी जैसी मिस्री शक्ति मिली जैसी । इसमे लेखक डोगा की एंट्री पेज नंबर 3 से पेज नंबर 4 के 2रे फ्रेम तक जबरजस्ती के कैप्शन के साथ करवाते है जो की डोगा की कई कॉमिक्स में हो चूका है मतलब ढाई पेज बर्बाद । उसके बाद पेज नम्बर 5 में उसको पता चलता है की आखिर हो क्या रहा है और तभी एक एक शैतान डोगा के सामने आक धमकता है और बाकी के बचे 5 पेजेज में वह उस से लड़ते हुए पाया जाता है और अंत में एक रहस्यमय किरदार को कालपहेलिया के साथ पाता है । बस डोगा का काम यही तक था । इस भाग को पढ़ कर ऐसा लगा की मै डोगा को नहीं बल्कि उसकी कॉस्ट्यूम में किसी ऐरे गैरे इंसान को देख रहा हु क्योंकि इसमें डोगा की सोच पहले जैसी बिलकुल नही थी । लेखक को वाकई बहुत जरूरत है की वो समझे की डोगा का किरदार कैसा था । इस भाग को पढ़ कर मुझे कुछ भी हासिल नही हुआ उलटा और नए सवाल पैदा हो गए की कालपहेलिया के साथ कौन है और किस मकसद से है । और इन सब सवालो के जवाब देने के लिए लेखक महोदय डोगा वाले इस सीक्वेंस को कम से कम 4 कॉमिक्स तक तो और खीचेंगे ही और हासिल कुछ नहीं होगा ।
2- दूसरी घटना द्वापर युग की है जहा अश्वराज और गोजो कुदुम और बिजलिका की खोज में त्रिनाग पर्वत में त्रिसर्प संधि की एक छोटी सी टुकड़ी से टकराते है । जहा लगभग हार चुकी लड़ाई को अश्वराज के साथ हुए एक चमत्कारिक हादसे के बाद जीत लेते है उसके बाद वो दोनो कुदुम और बिजलिका को बंदी पाते है । साथ ही त्रिसर्प संधि से रूबरू होते है जो की हर खलनायक की तरह अपनी ताकत का गुणगान करते हुये उनसे भीड़ बैठते है ।
मेरे मन मे मौत का मैराथन कॉमिक्स से ही एक सवाल उठा है की अश्वराज का जो सीन इस सीरीज में चल रहा है वो आखिर सर्वनायक सीरीज में क्या अहमियत रखता है । क्यो अश्वराज के ऊपर बेवजह फोकस किया जा रहा है । क्योंकि जिस तरह से विषक्षेत्र संरक्षणम् कॉमिक्स मे अश्वराज और गोजो के सामने त्रिनाग संधि आये है उसको देखकर लगा की ये एक ताकतवर विलन है और इतनी आसानी से नहीं हारने वाले । अगर मुझे ठीक से याद है तो युगांधर कॉमिक्स में अश्वराज को युगम तब अपने पास बुला लेता है जब वो पाषाण राक्षसो से लड़ रहा होता है । अब अगर लेखक किसी तरह जल्दी और अच्छी तरह से इस घटना को अश्वराज और पाषाण राक्षसो की लड़ाई तक लेकर आ जाए तो ठीक है वरना विस्तार में चल रही अश्वराज की कहानी किसी और दिशा में जा रही है तो ये बेकार की बात होगी ।
फिलहाल के लिए सर्वनायक विस्तार में अश्वराज और गोजो की कहानी मनोरंजन के हिसाबी से ठीक है पर बेहतर होंगा की लेखक इसे जल्दी किसी जायज मुकाम तक ले जाए । एक अच्छी बात यर भी है की भले ही इस सीक्वेंस का अंत कुछ भी हो पर राज कॉमिक्स के ये लुप्त हीरोज पाठको सर सामने एक बार फिर से मौजूद है ये ही इस सीक्वेंस को पढने के लिए काफी है ।
3- तीसरी घटना :- यह घटना है त्रिनाग पर्वत की पर कलियुग की जो उसी समय घट रही है जब नागराज नागरानी के आयाम की रक्षा करने के लिए उसके आयाम में गया है पर जाने से पहले विषपुत्रो के आगमन मे एक और खलनायक के ह्रदय परिवर्तन के बाद नागराज को आगाह करने के बाद नागराज नागु , शीतनाग , सौडांगी जैसे अपने साथी नागो को नाग निरंजनी की सुरक्षा के लिए भेजता है । जहा करणवशि पहले ही पहुच चुका होता है । पर पता नही लेखक साहब ने उनको क्यों रुकने के लिए कहा था । क्योंकि करणवशी नाग निरंजनी तक पहुच तो विषपुत्रो का आगमन कॉमिक्स में ही था और लॉजिक के हिसाब से उसको लेकर भाग भी जाना था पर ऐसा हुआ कुछ नहीं बल्कि इसी कॉमिक्स पेज नम्बर 11 मे अचानक नागराज के दोस्तों का और करणवशी का आमना सामना होता है । जैसे वो नागराज के दोस्तों की ही राह देख रहा था की पहले नागराज के दोस्तों से थोड़ा लड़ लेता हु राज कॉमिक्स के पाठको को थोड़ा एंटरटेन कर लेता हु उसके बाद नाग निरंजनी को हासिल कर लूंगा । खैर इतनी बड़ी बात भी नहीं है ये तो आगे बढते हुए मै देखता हु की लड़ाई शुरू होती है नागराज के एक और दुश्मन की एंट्री होती है और करणवशी को छोड़ कर सब उसी दुश्मन मतलब की थोडंगा पर टूट पड़ते है । अब यहाँ गौर करने वाली बात ये थी की थोडंगा पर सब टूट पड़ते है और करणवशि के तरफ किसी का ध्यान नहीं था मतलब करनवशी आराम से नाग निरंजनी हासिल कर सकता था पर उसने ऐसा नही किया मतलब करणवशि की मौजूदगी को खामख्वाह खीचा जा रहा था यहाँ । हा अगर लेखक यहाँ दिखाते की नाग निरंजनी को सिर्फ विषधारी ही छु सकते है तो बात ठीक होती पर ऐसा कुछ नही था दुसरा यहाँ पेज नंबर 15 में सौडांगी खुद ही इस बात की घोषणा कर देती है की करणवशी और थोडांगा मिले हुए है । अगर ऐसा था तो करणवशि भले ही नाग निरंजनी को न छू पाये पर थोडांगा जरूर छु सकता था क्योंकि उसकी खाल इतनी मोटी है की कोई भी विष उसके शरीर तक नही पहुच सकता था । पर थोडांगा ने भी ऐसा कुछ नही किया । इसे से दो बाते स्थापित हो सकती है या तो करणवशि और थोडांगा की कोई पार्टनरशिप नही है और और लेखक ने सौडांगी से ऐसे ही बुलवा लिया था या फिर लेखक दोनों को खलनायक को साथ में दिखाना चाहते थे मगर ठीक से दिखा नही पाये ।
यहा पर मै एक बात और नही पचा पाया की अब तो नागराज के दोस्त भी किसी दूसरे आयाम का द्वार खोल सकते है । मतलब अब ये एक सामान्य सी बात हो गई है क्योंकि इसी कॉमिक्स में वेदाचार्य भी अपनी शक्ति से आयाम द्वार खोल के फेसलेस को एक मकसद के लिए भेजते है । और इसके पहले इसी सीरीज की दूसरी कॉमिक्स विषपुत्रो का आगमन मे नागरानी ये काम अपने नागदंड से करती है । मतलब कुछ भी ?? जब हर किसी के पास ये शक्ति होंगी तो मजा ही क्या बचेंगा ।
कुल मिला का इस घटना में कुछ भी संतोषजनक नही देखने को मिला और अब नागराज के दोस्त आयाम द्वार खोल के किसी अंजान आयाम में दाखिल हो चुके है जहा न जाने क्या है ये आने वाले भाग में ही देखने को मिलेगा पर ध्यान रहे इसका अब भी मूल सर्वनायक से कोई कनेक्शन नही जुड़ा है बल्कि यह भी डोगा वाले भाग की तरह किसी और ही दिशा में जाती दिख रही है जिसका अंत फिलहाल 2-3 भागो में ही होता दिख रहा है ।
4- 4थी घटना इस कॉमिक्स मुख्य घटना है जिसमे विनोम सीरीज के बाद नागदंत और नागमणि को वही से दिखाया गया है जहा से उनको विनोम कॉमिक्स में छोड़ा गया था । विषपुत्रो के आगमन कॉमिक्स मे ही दोनों विलन की एंट्री हो चुकी थी और इन्होंने या लेखक ने गजब का दिमाग लगाते हुए दोनों को नागरानी के आयाम में भेज दिया था जहा इन्होंने तबाही का भयानक मंजर दिखाया और नागरानी को बेबस इस कदर कर दिया जहा वो नागराज की मदद मांगने आ सके । 27 पेजेज के इस सीक्वेंस में एक्शन की कोई कमी नही थी । मै इस भाग को पढता गया , पढता गया और पढ़ के एक तरफ रख दिया क्योंकि इस भाग में कुछ नया नही मिला ! मिली तो सिर्फ नागराज और नागदंत की साधारण सी लड़ाई , नागमणि का वही नागराज को मारने के लिए एक हथियार तैयार करना मतलब आ बैल मुझे मार । फिर जैसे तैसे वो अपने आधे अधूरे हथियार को नागदंत के उपर आजमाता है ताकि नागदंत नागराज को मार सके तब भी वो ऐसा नही कर पाता है ।
अब बात करता हु की इसकी मूल सर्वनायक सीरीज में क्या अहमियत थी । पढ़ कर नतीजा फिलहाल कुछ भी नहीं निकला । इसका यह मतलब नही की आगे भी न निकले पर मतलब ये है की आखिर इसको इतना खीचा क्यों जा रहा है । अगर इस सीरीज में हर चीज को इतना deeply क्यो दिखाया जा रहा है । क्यों हमें इतना एक अंतहीन सी प्रतीत होती सीरीज दी जा रही है । क्यों पहले के जैसी कहानी हमें नही दी जा रही है जहा एक ही पार्ट में कहानी ख़त्म हो जाती थी जहा हमें मनोरंजन इतना मिलता था जितना आज की आई 5 -6 पार्ट्स की सीरीज मे नही मिलता । और आज इन्ही 5-6 पार्ट्स की सीरीज में उसका आधा भी हमे नही मिलता ।
5- पाचवा भाग इस कॉमिक्स

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