Tuesday 15 March 2016



(आप लोगो ने हास्य हिंडोला पढ़ी होगी..उसमे superheroes की जितनी उम्र और मानसिकता और स्वरुप थी उतनी ही इसमें भी है ,ये सोचकर पड़ें)


  ......................दृश्य 1.......................

ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग कट
फिर से
ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग
"अरे भाई जरा सब्र रखो..एक तो चला नही जा रहा है और..."
डोगा-"हेल्लो"
ध्रुव-"क्या हाल है डोगा..कोई समस्या नही न..हिहिहिः"

डोगा(दांत पीसकर)-"ठीक है हाल"
ध्रुव-"और चाल..हीही"

डोगा-"वो भी सालों तुम लोग के अखंड कृपा से ठीक(नहीं) है"
ध्रुव-"बहुत दर्द हो रहा होगा न आगे पीछे में..(नहीं हो रहा तो बोल..देते है घुसेड के)"

डोगा-"बस करो कुत्तो..पागल सांढों की तरह मारा है तुमलोगों ने..कल से ना तो पीठ के बल सो पा रहा हूँ न पेट के बल..सुबुक"

ध्रुव-"तो हांथो के बल सो जा..मेरा मतलब साइड के बल"

डोगा-"हाथ तो पीछे सहलाने में व्यस्त रहता है...कमीनोआइने क्या बिगाड़ा था तुमलोगो का..देखो..कल कल्लू भी मौका देख कर मोनिका को लेकर भाग गया..और मैं उसके पीछे भी नहीं जा सकते"

ध्रुव-"जाने दे उसे..एक जायेगी तभी तो दूसरी आएगी"

डोगा-"तू तो साले स्मार्ट है तभी तो तेरे पास आती जाती रहती है..मेरी तो शक़ल भी ढँक जाती है ..और मुझ जैसे मूर्ख को कौन पसंद करेगा..बुहुहू"

ध्रुव-"इसलिए तो फ़ोन किया..दरअसल वो अभिषेक भाई ने हमलोगों को स्कूल में भेजने का बोला था ना तो उसी के लिए तुम्हे बोलने वाला था.."

डोगा-"मुझे नहीं जाना कोई स्कूल वास्कूल.."
ध्रुव-"(तू तो साले दौरा आएगा)-"अबे चल न..वहां गर्माहट का भंडार होगा"
डोगा-"अबे हिंदी में बोल न..उर्दू में ना बोल.."
ध्रुव-"अबे मेरा मतलब होटनेस..वहां बहुत सारी लड़कियां होंगी..तुझे नहीं आना ..तो..कोई..बात...नहीं"

डोगा-"क्या बोला..लड़कियां..उप(लार टपकने लगा..सूप)..मैं आता हूँ। बोल कहाँ आना है.."

ध्रुव-"अबे purnea के dsa ग्राउंड में पहुँच जइयो..बिहार में.."
"ओके गुरु"

.......................दृश्य 2.....................

dsa ग्राउंड में सब पहुँच चुके है।

डोगा नागराज से बात नही कर रहा था।
वो जब भी नागराज की तरफ मूड़ता तो नागराज कनकी मार देता था।

स्टील-"डोगा!! जरा छूने दो तो"
डोगा-"बुहुहू..तुमलोगो ने उस लायक छोड़ा ही कहाँ..मुझे तुम लोगो से बात नही करनी"
तिरंगा-"मैंने तो सुना कि मोनिका किसी के साथ भाग गयी.."

ध्रुव-"अबे भागी नही..कालू लेकर भाग गया।"
परमाणु-"और खुद को यमराज का बताने वाला क्या पकौड़े तल रहा था..हीहीही"

डोगा-"तू कहना क्या चाहता है..तुम कमीनो की वजह से ये सब हुआ है"

परमाणु-"देख डोगा..ज्यादा बरियारी दिखाई तो..अभी गैस छोड़कर तुझे कल की तरह फंसा के पिटवा दूंगा"
डोगा-"मम ..मुझे माफ़ कर दे भाई..सॉरी..हुहुहू"

नागराज-(कनखी)"डोगा..बोल मेरे भाई..छोडू क्या .."
डोगा-"न न न भाया..."

तभी एक बच्चा स्कूल जाता हुआ दिखाई दिया।
ध्रुव-"वो देखो दोस्तों...वो बच्चा स्कूल जा रहा है...काश कभी हम भी उसी तरह बैग लटकाकर स्कूल जाते.."
डोगा-"हाँ यार...मुझे भी अफ़सोस होता है..काश की हमारी भी माताजी उसी तरह हमें हाथ पाकर कर स्कूल ले जाती..और हम नही जाते.."
नागराज-"बैग से होने वाले बोझ को हमने भी बर्दाश्त किया होता..बहुत सुना है लोगो के मुख से की विद्यार्थी जीवन स्वर्णिम काल होता..काश उस स्वर्ण का एक अंश हमे भी नसीब हुआ होता.."
परमाणु-"मुझे अपना काल याद आता है विद्यार्थी जीवन का.."
तिरंगा भी रोने के मूड में आया....

तिरंगा-"बस करो यारो...अब और न रुलाओ..दिल के पार हुआ जाता है...इसी वेदना को महसूस करते हुए तो अभिषेक भाई ने हमलोगों को स्कूल भेजने का प्लान बनाया है। अब सारे कमीनो अपने ओरिजिनल मूड में आओ। हम रोते हुए अच्छे नही लगते।
स्टील-"कमीने बोल तो ऐसे रहा है जैसे की हँसते हुए स्वर्ग की अप्सरा लगता है..."

ध्रुव-"अब आये न अपने अंदाज पे..लेकिन ये निगोड़ा अभि नही आया अभी तक"
डोगा-"श्श्श..धीरे धीरे बोलो..कहीं सुन न ले..सुन लिया तो सारा ताव उतर देगा तेरा.."
नागराज-"बात तो इसकी सही है..देखते नही हो..इसकी रंगबाजी बढती जा रही है...ब्रह्मा पटेल,और cop ग्रुप के सारे प्रतिष्ठित राइटर और धुरंधर जैसे की निशांत(भैया),राकेश(भैया),सटकी(सम्राट भैया),कबीर(भैया),आकिब(बोले तो जन्नत जान) शाश्वत(पियक्कर भाऊ) आदि सभी लोग हमलोगों से मिलने हमारी दूनिया आते है परन्तु इस कल के छोकरे ने तो हमें ही हमारी दुनिया से उठा लिया..."

तिरंगा-"और उसके सामने तो ध्रुव की स्मार्टनेस भी नही चलती..(कनखी)।।हीही"

ध्रुव-(आँख बंद करके लेक्चर झाड़ने लगा)-"किसने कहा..तुमको पता नही हो पर ये सच है की हर सुबह शाम वो मेरे पैर दबाता है...मेरे बूट्स साफ़ करता है(इतने में मै ग्राउंड में उन सबके पास पहुँच जाता हूँ) और तुमको पता भी नही की कल उसने मेरे कपडे भी साफ़ किये..वो मुझे मालिक बोलता है..कल तो मैंने उसको मारा भी था..ब्लाह ब्लाह..चपड़ चपड़"

अभि ने ध्रुव के कंधे पर हाथ रखा-"क्या बातें हो रही है ध्रुव..किसने किसको मारा.."

ध्रुव(अरे बाप रे..शैतान कब आया..अब क्या करेगा बेटा ध्रुव)-"वो..वो..व"
डोगा-"पिटवाता हूँ साले को)-"क्या वो वो कर रहे हो..बता न भाई को की अभी भाई के बारे में क्या बता रहा था तू हम सबको"

अभि-"हाँ बताओ ध्रुव..शरमाओ मत..."
ध्रुव-(अबे शर्माता कौन है..यहाँ तो दर से गीली हो रही है)-"अबे.मेरा मतलब..अरे..कबूतर भाग गया..कुत्ता दूध पी गया..बिल्ली ने कुत्ते को i लव यू कहा..(अरे ये मैं क्या बोल रहा हूँ) वो सब छोडो भाई..ये बताओ की लेट कैसे हुआ..पेट्रोल ख़तम हो गया था...ये लो 5000 रुपये...तिरंगा..ये ले पैसे और ला तो पेट्रोल.."

अभि-"अबे नौटंकी..मई बाइक से नहीं..मुझे पैदल ही मजा आता है .."
ध्रुव-"तो भाई..भाभी जी आने नही दे रही थी क्या"

मैंने ध्रुव की तरफ देखा।

ध्रुव-"स्स सॉरी भाई...आने दे या ना दे भाभी जी की मर्जी..इसमें हमलोग क्यों कुछ कहें"

अभि-"अबे कोई भाभी वाभी नही है..वो तो कल की स्टोरी के अच्छे रेटिंग और बिक्री से पैसे मिले तो थोरे कचौरियां रसगुल्ले उडा रहा था।"

ध्रुव-"भाई एक बार उस रूम में चलो न..प्लीज"

अभि-"चलो"

रूम के अन्दर

ध्रुव-"भाई मुझे माफ़ कर दो..मैं जरा जवानी के नशे में बहक गया था..मैं आपके सामने (डोगा के) हाथ जोड़ता हूँ..प्लीज पिटवाना मत"

"उससे कैसे बचोगे..ऐसे कैसे छोड़ दें...!

ध्रुव-"प्लीज..भाई..मैं आपको एक दिन नताशा के और एक दिन ऋचा के हाथों का बना खाना खिलाऊंगा.."

अभि-"(अरे शाने..सस्ते में निपटा रहे हो)-"और वो blackcat भी तो है...और श्वेता भी"

ध्रुव-"हाँ एक एक दिन उन्दोनो के हाथों का भी"
अभि-"और चंडिका"

ध्रुव(अबे भुक्कड़..किस किस के सामने हाथ जुड़वायेगा)-"हाँ वो भी...अब तो मान जाओ"

अभि-"चल ठीक है"

बाहर में सब खुस पूस कर रहे थे..

डोगा-"लगता है लम्बी मारपीट चल रही है"
नागराज-"हां..चीखने की आवाजें भी आ रही है"
तिरंगा-"प्रतिष्ठा में प्राण कए सितारे के"
परमाणु-"आज सारी बमकी उतर जायेगी कमबख्त की
स्टील-"वो देखो आ गए दोनों बाहर"
डोगा-"लगता है बहुत मार पड़ी है"
नागराज-"अब सब चुप हो जाओ..वरना हमारा भी यही हाल होगा।।

अभि-"तो तैयार हो सब लोग"
सब-"हां"
अभि-"तो चलो फिर..."

.....................दृश्य 3..............................

प्रिंसिपल ऑफिस में

अभि-"राम राम सर..ये मेरे दोस्त है.."
प्रिंसिपल-"तो..मैं क्या इनकी चमरी उधेर कर आचार डल्वाऊं"
प्रिंसिपल-"देखो..लाला..बात जे है से की हमरे दोस्त को मेरे अलावा कोई हाथ भी नहीं लगा सकता....ज्यादा चर्बी चढ़ गयी है के....तुमरा स्कूल बंद करवा देंगे"
प्रिंसिपल-"सॉरी सॉरी मेरे मालिक..फरमाइए.."
अभी-"आये ना तुम लाइन पे..."
प्रिंसिपल-"हाँ...चारों तरफ तुमने बदमाशी मचा राखी है...मई कहता हूँ ये सब बंद कब करोगे"
अभि-"देख लाला...धनुष मांगोगे तो तीर देंगे...रंगबाजी बंद की मांग की तो ससुरा उसी तीर से चीर देंगे"
प्रिंसिपल-""बस कर मेरे बाप...रहम कर....बोल क्या चाहिए"
अभि-"(चाहिए तो तेरी बेटी..हिहिहिही)ये सारे मेरे दोस्त है..इन सबका एडमिशन कर जल्दी"
प्रिसिपल-"मई इनका टेस्ट लेके इन्हें इनके लायक क्लास में एडमिट कर दूंगा"
अभि-"तो ठीक है..मैं चलता हूँ अपने क्लास.."

प्रिंसिपल-"पर बेटा फीस तो देते जाओ.."
अभि-"अबे बुढऊ..इत्ते पैसे लेके का करेगा..गुजर बसर ठीक से नही हो रहा क्या"

प्रिंसिपल-"वो बात नही है..फीस तो देनी पड़ेगी...तू तो किसी महीने की भी फीस नहीं देता..लेकिन आज मैं सारे फीस लूँगा..."

अभि-"ओ बुढउ...त.."
प्रिंसिपल-"खामोश.."

अभि-(बुढ़उ गर्मी में है..उतरता हूँ..)-"देख ले..बात जे है से की शादी तो तेरी बेटी मेरे से ही करेगी.. दहेज़ वाली रकम में से काट के छुट्टे रख लियो..अब जाने दे...(तेरी बेटी इन्तेजार कर रही होगी...थोड़ी पढाई कर लू...प्रेम की)

प्रिंसिपल-बुहुहू...फिर चूना लगा गया कमबख्त.."

डोगा(नालायक में अभी से रंगबाज वाले गुण है..पैदा लिया नही कि लड़की ताड़ना चालू..और तो और..हम superheroes को भी नचाता है ..बताइए तो...मुझको..डोगा जैसे पॉपुलर हीरो की ऐसी की तैसी कर देता है)-"मुझे आपसे सहानूभूति है सर..अब टेस्ट ले लिया जाए.. "

..........................दृश्य 4................................

टेस्ट लेने वाला टीचर-"हाँ सबसे पहले कौन आगे आएगा..."

कुश पुश
"ये नागराज बड़ा हीरो बनता है..ये जाएगा"
"पर स्मार्ट तो ध्रुव बनता है"
"यमराज का बाप तो डोगा बना फिरता है"
"मैं नही..तू जा टिन के डब्बे"
"कुर्बान तो तिरंगा होगा"
हो हल्ला होने लगा।

टीचर-"खामोश हो जाओ..ओ हरी चमरी लाल चड्डी...तू आ"

नागराज डरते डरते गया।
टीचर-"a b c d..आती है...?"
नागराज-"यस सर.."
सर-"बोलो फिर"
नागराज-"a b c d e f g...."
सर-"धत्त..ऐसे नही बुरबक..अ फॉर एप्पल बी फॉर बॉल..ऐसे बोलो"

नागराज-"ओके सर
a for आरती
b for भारती
c for चंडिका
d for दिव्यंका
e for एरिडा
f for फ्लोरिडा
g for गर्लफ्रेंड
........

सर-"बस कर मेरे बाप..पैदा लेते ही लडकियों की नगरी में नैन मटक्का खेला करता था क्या...अब...ओ पीली चड्डी..तू आ"
ध्रुव-"यस सर"
सर-"तू क ख से शब्द बोल"
ध्रुव-" क से कुत्ता कमीना
          ख से खच्चर की औलाद
           ग से गधे का बाप
          घ से घोडे का पाप
         च से चिरांद साला,छ से छिछोरा टपोरी

सर-"(अबे ये तो क ख की आड़ में मुझे गाली दे रहा है)-बस कर...अब ओ लाल चड्डी...आ इधर"
सर-"तू भी a b c d बोल..."

डोगा-"a for ak47
          बी फॉर बम
         c फॉर कारतूस
        डी फॉर डाका

सर-(ये तो डाकू लगता है)"बस कर..अब किसी और का टेस्ट नही..सबको 1 क्लास में दाल दो.."

फिर सब प्रिंसिपल के पास गए।
प्रिंसिपल-"हुआ..??"
डोगा-"हां"
परमाणु-"ये छोरो ये बताओ की आप हमारे भाई से इतना डरते क्यों हो..."
प्रिंसिपल-"क्या बताऊ
एक दिन मैं सोचा की चलो सारे क्लास की प्रोग्रेस देख लू...अभि मेरी नजर में बहुत दिनों से चढ़ा था ..सोचा की आज इसकी हेकड़ी उतार दूंगा।
मैं उसके क्लास गया। मैंने उससे पूछा कि उससे कि तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है...?....उसने कहा नही है
मैंने कहा कि गर्लफ्रेंड का गलत मतलब बना रखा है तुमलोगो ने ..हर गर्ल जो फ्रेंड हो..मैंने उसे और लेक्चर दिया...मैने उससे कहा अब मार खाने के लिए तैयार हो जाओ....उस नालायक ने तुरंत कहा की सर इसका मतलब आपकी बेटी मेरी गर्लफ्रेंड हुई...और हंसने लगा...फिर थोड़ी देर बाद बोला की सर आपकी पत्नी के बहुत सारे बॉयफ्रेंड है...और भी बाकी वर्ड्स का बतंगड़ बना के उसने वाट लगा दी मेरी...और मेरी बेटी उसी दिन से उसपर फ़िदा है...बुहुहू...कितना दुखद बात है"

ध्रुव-"हमदर्दी है सर...आपसे"

प्रिंसिपल-"बुहुहू...ये लो identy cards और जाओ अपने क्लास रूम में"

..............................दृश्य 5.............................

मैम-"goodmorning स्टूडेंट्स..."
goodmorning मैम

नागराज ध्रुव्व सब बाकी स्टूडेंट्स से कुछ बड़े थे।

परमाणु-"हाईला..कितनी सुन्दर है.."
ध्रुव-"दिल करे चूं चे चूं चें चें"
नागराज-"अब बताइए..इसमें मेरी क्या गलती है...मैं जहाँ भी जाता हूँ भगवान् मेरे लिए पहले से कन्या तैयार रखते है..तो मुझे उनका आदेश मानना पड़ता है ..हिहिहिही"
डोगा-"देखो..कल मोनिका गयी..और आज मैडम मिल गयी..वाह वाह"
तिरंगा-"क्या मिसाल तेरी,अंग अंग में रस बसाया है
          दूर हटो ऐ कमीनो,इसे मेरे लिए रब ने बनाया है

स्टील-"ये वाली मेरी हां..."
परमाणु-"नही मेरी है"
ध्रुव-"मेरी है"
तिरंगा-"ना इसकी,न उसकी न तेरी
            भूल जाओ तुमसब,ये वाली मेरी"
सब में क्लास में ही मारपीट होने लगी।
क्लास में ही महाभारत छिड़ गया।
कभी इस बेंच पे तो कभी उस बेंच पे

मैडम ने सबको शांत करवाया।
मैडम-"शांत हो जाओ तुमलोग"
ओके मैडम(आपकी मर्जी से सब होगा)


फिर सब बेंच पे बैठ गए
परमाणु डोगा एक बेंच पे बैठे थे।
परमाणु-"तूने देखा नही पर मैडम जी ने मेरा हाथ पकड़ा था। वो भी मुझे चाहती है...

अच्चा बच्चो कल जो मैने होमवर्क दिया था वो आपलोगों ने बनाया।
बच्चे-"जी मैम"
"ओके निशु..तू 2 का टेबल बोल"
"याद नही हुआ मैडम(क्यों की आपकी आर्ट का colouring कर रहा था("
"अभिराज तू बता"
"सटकी खोपड़ी से ऊपर चला गया मैडम..(आपके ख्यालों में...हीही)"
"कबीर??"
"2 एकम 4
2 दूनी 1"
मैडम-"गलत...ब्रह्मा..तुम बताओ"
ब्रह्मा-"ऊ हूँ ऊ हु...भूल गया(याद करना)
"शाश्वत...?"
"मैडम..मुझे माफ़ करो....मैं नशे में था...कॉमिक्स के(आपके नशे में)
"राकेश..तुम तो बड़े होशियार हो..बताओ"
"याद पिया की आने लगी..हाय भीगी भीगी रातों में...
 ये गाना सुन रहा था कल...याद नही कर पाया"
जन्नत जान..तुम तो बताओ"
"सुबुक..याद नही हुआ..सुबुक...बहुत टफ था"
"और नगमा तुम??"
"स्सोरी मैडम..वो कल ब्रह्मा के साथ खेल रही थी(नैनमटक्का)..भूल गयी(पढना)"

"कोई भी पढ़ के नही आता..जो मुझे सुनाएगा 2 का टेबल उसे मैं kiss दूँगी"

परमाणु-"(हायला मौका अच्चा है..).मैडम यदि मैं 20 का टेबल सुनों तो आप मेरे साथ हनीमून पे चलोगे..."

मैडम-"चुप करो बदतमीज.."
परमाणु-"उहूं..आपने मुझे दांता...ऊहूं सुबुक..."

मैडम-"ओह्हो..अच्चा चुप हो जाओ..चलो एक गाना सुनाओ..तुम्हारा मन हल्का हो जायेगा.."

परमाणु-"ये आपके लिए मैडम
      गिरा के अपना पल्लू बार बार
        कर देती हो हमको बेकरार.."

मैडम(गुस्से में)..-"मैंने सोचा था कि चलो एक बार गलती हो गयी होगी..पर तुम तो सच में बहुत बड़े बदतमीज हो...मैं अभी जाकर शिकायत करती हूँ"

............................दृश्य-6............ ............

ऑफिस में सारे लोग जमा हुए..means अभि,नागराज ,ध्रुव आदि,प्रिंसिपल और मैडम और टेस्ट लेने वाला और एक दो लोग

मैडम(जो कि एक्चुअली में प्रिंसिपल की बेटी और अभि की ....हीही)-"पापा..रिया मैडम नही आई थी तो आपके कहने पे मैंने दो दिन बच्चो का क्लास लेना एक्सेप्ट किया..पर कैसे कैसे स्टूडेंट है याहां"

प्रिंसिपल-"मैं जानता था बेटी कि ये अभि के नालायक दोस्त ऐसे ही होंगे...सजा इसको ही मिलने चाहिए(रुक बेटा..आज तेरी ही खोपड़ी ढीली करवाता हूँ) क्या बोलते हो मिशरा जी.."

मिश्रा जी-"rite प्रिंसिपल सर...सजा इस नाल्यक को ही मिलनी चाहिए"

प्रिंसिपल की बेटी-"इसमें इस बेचारे की क्या गलती.."

अभी-"ओ लाला और मिश्रा की औलाद..क्या हाँ बे..दिमाग में चर्बी पहुँच गयी है के..मैंने लाया तो क्या मुझे सजा मिलेगी...तो फिर तो आप दोनों को भी मिलनि चाहिए..क्यू की साड़ी बात जानते हुए भी आपने इनका एडमिशन पर हामी भरी और टेस्ट लेने वाले मिश्रा जी ने पास भी किया...सजा तो ऐसे में आपलोगों को भी मिलने चाहिए..."

"पर..."

अभि-"पर वर कुछ नहीं...चुपचाप से दम मारके बैठे रहो"
 प्रिंसिपल-"नहीं..मई आज ही इन सबको निकालता हूँ"
अभि-"नहीं..यद्.."

प्रिंसिपल की बेटी-"हाँ अभि..इनलोगों का निकालना ही ठीक है..और तुम कुछ नही बोलोगे"

अभि(खोपचे में ले जाकर)-"पर ये सब मेरे भाई जैसे..और..हीही..तुम्हारे होने वाले देवर जैसे है.."
प्रिंसिपल की बेटी-"तब तो इनका निकलना और भी जरूरी है..देखो तो..अपनी भाभी को ही लाइन मारता है..माल्द्रिष्टि से देखता है"
अभि-"कौन था वो..जरा बताओ तो"
प्रिंसिपल की बेटी-"वो पीला वाला"
"ओके..मई अभी उनकी खबर लेकर आता हूँ"
"जल्दी आना..मैं अकेले...हीही..बोर हो जाउंगी.."

अभि-(नागराज सबसे)-"सब चलो ग्राउंड.."

रास्ते में

अभी(पर ये पीला वाला कौन है..ध्रुव या परमाणु...परमाणु तो होगा नही क्यू की बेचारा खुद डरा सहमा रहता है..जरूर ये ध्रुव होगा..सुबह भी बहुत उड़ रहा था)

ग्राउंड में

अभि-"ऐ तुमलोग..सब मिलके चटनी बना डालो इस ध्रुव की..जल्दी"

ध्रुव(हांय)-"पर.."
कोई पर वर नही
नागराज-"किन्तु.."

"अबे तुमलोग को बोला न..चटनी बनाओ इसकी..वरना तुमलोग की बना दूंगा"

नागराज(अपना क्या जाता है)
डोगा(बड़े एहसान है इसके मुझपर..आज सारे उतार दूंगा)
परमाणु(वाह..ये तो लाटरी लग गयी)

फिर सबने मिलकर ध्रुव को कूट डाला

बेचारा किसी तरह खड़ा हुआ..बोल-"भाई वो मैं नही परमाणु था.."

"क्या"
"हाँ तभी से मई वही बताना चाह रहा था"
अभि-"क्यों बे परमाणु..तू था क्या"
परमाणु-"नही नही भाई..ये ध्रुव मुझे मार खिलवाने की सोच रहा है"
"चल डोगा..तू बता सही बात क्या है"
डोगा(ध्रुव को तो धो दिया है अब परमाणु से कल का हिसाब लेना पड़ेगा)-हाँ भाई..यही था"

अभि-"इसकी चटनी के साथ साथ भुरता भी बना दो..!

बस...अंधे(नागराज,ध्रुव,दोग,स्टील,तिरंगा) को क्या चाहिए..दो आँखे(अपने दोस्त की..हिहिहिः)

........................समाप्त....................

Click Here to Download in PDF

Post a Comment: