लाइन- निशान्त मौर्य
"अमां मियां कितना वक़्त और लगाओगो जल्दी करो, हमारे पैरन में बड़ा दर्द है आज"
गांव के बुजुर्ग अफजल मुस्तफा गठिया के पुराने मरीज थे और काफी देर से लाइन में खड़े थे।
"अफज़ल चाचा आपको बड़ी जल्दी है, सबको लाइन से मिल रहा है, जादा जल्दी हो तो फूट लो", राशन वाले ने आँखे तरेरते हुए कहा।
आज फिर चंदनपुर गाँव की सरकारी राशन की दुकान हर बार की तरह लंबी लाइन लगी थी, क्योंकि आज महीने की 7 तारीख थी। दुकान का मालिक हरिया हर महीने इसी तारीख को राशन बांटता था। राशन बाँटने में पूरा दिन लगा देता था और बहुत ढील-पोल मचाता6 था, ताकि सबको राशन न मिल सके और बचा हुआ राशन वो ब्लैक मार्किट में बेच सके।
"अरे ओ हरिया का ऊधम मचा रखा है जल्दी काम निपटा वरना तेरी खैर नही", गांव के ही एक दबंग पंडित बिरजूनाथ भी उसी लाइन में लगे थे।
"बिरजू चाचा हम भी का करें सब कम सिसटम से निपटने पड़ते हैं", हरिया दांत निपोरते हुए बोला।
बिरजू लाइन से बाहर आये और हरिया की मेज पर 2 रुपये का सिक्का रखा।
" हरिया अपना सिसटम अपने पास रख और जल्दी राशन तौल"
हरिया ने सिक्का झट से जेब में डाला और अपने नौकर को आदेश दिया," छोटू बिरजू बाबू को जल्दी तौल दे इन्हें आज कथा कहनी है।"
बिरजू की देखादेखी गाँव के एक आध और लोग जो खुद को तुर्रमखान समझते थे लाइन से बाहर आये और सिक्का देकर राशन ले गए।
जल्दी तो सबको थी। अब तो सिक्का देकर राशन लेने वालों में होड़ लग गयी।
अफरातफरी मचने लगी चारो तरफ तो हरिया ने धमकी दी,"लाइन से आओ सब वरना सारा कम बंद कर देंगे"।
"अरे लाइन से बचने के लिए ही तो तुझे पैसा दे रहे है", लाइन के बीच से कोई बोला।
स्थिति की गंभीरता को समझते हुए हरिया ने सुझाव दिया,"जिसको भी जल्दी है वो सिक्का लेकर एक अलग लाइन लगा लो, उनको राशन पहले दिया जाएगा"
थोड़ी देर बाद पहले वाली लाइन गायब हो गयी और एक नयी लाइन लगी थी; हरिया को सिक्का देकर राशन लेने वालों की लाइन ।
लाइन में सबसे पीछे थे अफजल चाचा और शायद उनके परिवार को इस महीने दो जून की रोटी नसीब नही होनी थी।
फैसला मैं आप सब पर छोड़ता हूँ कि इस भ्रष्टाचार का असली दोषी आखिर कौन था हरिया बिरजूनाथ या आम जनता ?
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6 comments
Hum ..... Mango people
ReplyAaj ke samay ki sachchai h yh
ReplyRashan wala
Replyसभी सामान रूप से दोषी हैं परंतु सबसे ज्यादा दोषी हमारा सिस्टम है जिसने एक व्यक्ति विशेष को इतनी शक्ति दी कि वो दूसरों का शोषण कर सके। यदि प्रत्येक व्यक्ति अपना कर्तव्य निभाए तो किसी के मौलिक अधिकारों का हनन नही होगा।
Replyसबसे ज्यादा दोषी तो 2 रु का सिक्का है सारा पंगा उसी ने शुरू किया....😂😂
ReplyLog khud bhrst hote ja rhe h ab ise waqt ka takaja kahe ya majboori.. Bat ek hi h.. Intejar kro bhrstachar ko khtm kro..is kahani s yhi seekh milti h
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